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गरीब देशवासियों की अमीर सरकार

आर्थिक मंदी के इस आलम में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की चौंकानेवाली रिपोर्ट आई है. ये रिपोर्ट है विदेशी सहायता के बारे में. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार 78 हज़ार करोड़ रुपए की विदेशी सहायता का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है.और तो और सरकार इतनी बड़ी रक़म पर विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक को 'वायदा शुल्क' भी दे रही है.
सीएजी की ये रिपोर्ट हाल ही में संसद में पेश की गई. सीएजी ने अपनी इस रिपोर्ट में सरकार से पहल करने की अपील की है ताकि विदेशी सहायता का इस्तेमाल हो सके.

सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है- चूँकि विदेशी सहायता इतनी क़ीमती होती है और सरकार इस पर वायदा शुल्क भी दे रही है. इसलिए इस मामले पर पहल की आवश्यकता है ताकि उपलब्ध कोष का इस्तेमाल न कर पाने वाले क्षेत्रों के मुद्दों पर ध्यान दिया जा सके.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च 2008 तक 78,037 करोड़ रुपए की विदेशी सहायता का इस्तेमाल नहीं हुआ है. जबकि सरकार ने 2007-08 के वित्तीय वर्ष में 124.54 करोड़ रुपए का वायदा शुल्क दिया. इस वायदा शुल्क का ज़्यादातर हिस्सा विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक को गया है. वायदा शुल्क उस मूलधन पर दिया जाता है, जिसे निकालने की तारीख़ आगे बढ़ा दी जाती है. सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अपर्याप्त योजना के कारण सरकार ऐसी जगह ख़र्च कर रही है, जिससे बचा जा सकता था.

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