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क्या टी. वी. चैनलों पर सरकार का अंकुश लगाने का विचार सही है ?

मेरा ऐसा मानना है की देश के न्यूज़ चैनल, न्यूज़ कम और अफवाह तथा entertainment या मनोरंजन के चैनल ज्यादा उपयुक्त लगते है. एक बार बीबीसी, सीएनएन, सीएनबीसी, ब्लूमबर्ग न्यूज़ देख लेने के बाद इन चैनल की तरफ़ मुंह उठा कर भी नही देखने का मन करता. बीबीसी इत्यादि विख्यात चैनल के रिपोर्टर ज्यादातर हर विषय में प्रवीन होते है, न्यूज़ डेस्क पर न्यूज़ पढने वाले एक क्षण में किसी राजनेता से विश्व के किसी ज्वलंत मुद्दे पर बात करते है तो दुसरे ही मिनिट वो किसी नामचीन बैंकर से अर्थव्यवस्था पर उत्कृष्ट प्रश्न पूछते हुए दीखते है. हमारे यहाँ सनसनी पैदा करने की कोशिश की जाती है क्योंकि जनता इसे पसंद करती है फिर चाहे वो मुंबई का आतंकवादी हमला हो या कोई बच्चा नाले में घिर गया हो, इनको केवल पैसा बनाना है. सरकार भी कोई दूध की धुली नही है. सरकार अंकुश के नाम पर अपनी कारगुजारियों को छुपाना चाहती है. एक निश्चिंत मानदंड और responsible journalism के तहत न्यूज़ चैनल को काम करना चाहिए जिसमे सरकार की दखलंदाजी नही हो लेकिन साथ ही चैनल को गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतरना चाहिए.

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